8वें वेतन आयोग में भत्तों को कम करके वेतन को आसान और साफ-सुथरा बनाने पर जोर है. डिजिटल जमाने में कई पुराने भत्ते अब काम के नहीं रहे. एक जैसे काम वाले भत्तों को मिलाकर सैलरी सिस्टम को सरल बनाने की तैयारी है. इससे ऑफिस का काम भी आसान होगा और पेंशनभोगियों को भी फायदा मिलेगा.
देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी इस समय 8वें वेतन आयोग की नोटिफिकेशन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. माना जा रहा है कि इस आयोग के ज़रिए न सिर्फ बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी होगी, बल्कि भत्तों की व्यवस्था में भी बड़े बदलाव हो सकते हैं. मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस बार भत्तों की संख्या कम करने और वेतन प्रणाली को ज़्यादा पारदर्शी और व्यावहारिक बनाने पर काम कर रही है. इसका मकसद यह है कि सैलरी सिस्टम को आसान और समझने लायक बनाया जा सके, ताकि कर्मचारियों को हर तरह से फायदा हो.
7वें वेतन आयोग में भी चली थी ‘भत्तों की कैंची’
7वें वेतन आयोग में भी भत्तों पर ‘कैंची’ चली थी. उस समय ये देखा गया था कि कुल 196 तरह के भत्ते दिए जा रहे थे. इनमें से कई भत्ते एक-दूसरे से मिलते-जुलते थे या फिर उनका इस्तेमाल बहुत कम हो रहा था. इसको देखते हुए 7वें वेतन आयोग ने 52 भत्तों को पूरी तरह खत्म करने और 36 भत्तों को दूसरे भत्तों में मिलाने की सिफारिश की थी. इसके बाद सरकार ने कई पुराने भत्तों को बंद कर दिया और कुछ को नए नाम और नए नियमों के साथ फिर से लागू किया था. ऐसा ही कुछ इस बार भी हो सकता है — यानी 8वें वेतन आयोग में भी भत्तों की संख्या कम की जा सकती है और सैलरी सिस्टम को और साफ-सुथरा बनाया जा सकता है.
डिजिटल जमाने में कई पुराने भत्ते अब बेकार होते जा रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार सरकार भत्तों को आसान और समझने लायक बनाने पर खास ध्यान दे सकती है. डिजिटलाइजेशन और नई प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वजह से टाइपिंग भत्ता या क्लेरिकल भत्ता जैसे कई भत्तों की अब पहले जैसी जरूरत नहीं रह गई है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि ऐसे भत्ते खत्म किए जा सकते हैं.
इसके अलावा, जिन भत्तों का मकसद एक जैसा है, उन्हें मिलाकर एक ही भत्ता किया जा सकता है. इससे वेतन प्रणाली न सिर्फ आसान और साफ-सुथरी हो जाएगी, बल्कि कर्मचारियों की सैलरी का हिसाब-किताब भी जल्दी और ठीक से हो पाएगा. साथ ही, सरकारी कामकाज में भी अनावश्यक झंझट कम होगा.
ट्रैवल और रीजनल भत्तों पर भी चलेगी ‘कैंची’
मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों के मुताबिक, इस बार ट्रैवल अलाउंस, स्पेशल ड्यूटी अलाउंस, छोटे स्तर के रीजनल भत्ते और कुछ खास विभागों से जुड़े भत्ते सरकार की समीक्षा के दायरे में हैं. हालांकि अभी तक इस बारे में सरकार की तरफ से कोई पक्की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि वेतन प्रणाली को ज़्यादा तार्किक और संतुलित बनाने की दिशा में बदलाव किए जा सकते हैं.
सैलरी पर सीधा असर नहीं, पेंशन में मिल सकता है फायदा
कर्मचारियों को यह डर नहीं होना चाहिए कि भत्ते खत्म होने से उनकी कुल सैलरी कम हो जाएगी. आमतौर पर सरकार ऐसा कोई फैसला लेते वक्त संतुलन बनाए रखती है. जैसे अगर कुछ भत्ते हटाए जाते हैं, तो उनकी भरपाई बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी करके की जाती है.
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि पेंशन की गणना इन्हीं दो चीज़ों , बेसिक वेतन और DA के आधार पर होती है, न कि अलग-अलग भत्तों पर. इसलिए अगर छोटे-छोटे भत्ते हटाकर उनका हिस्सा बेसिक पे और DA में जोड़ा जाता है, तो कर्मचारियों के साथ-साथ रिटायर होने के बाद पेंशनभोगियों को भी इसका लंबी अवधि में फायदा होगा.
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