Punjab Flood: 9 जिलों में बाढ़, 1312 गांव डूबे, 30 लोगों की मौत, स्कूल-कॉलेज बंद… ‘उड़ता’ नहीं ये डूबता पंजाब है, तस्वीरें डरा देंगी
पंजाब इस समय बड़े मुश्किल दौर से गुजर रहा है. पंजाब के 1300 के करीब गांव बाढ़ की चपेट मैं हैं और अनगिनत लोग इसकी मार झेल रहे हैं. इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद के लिए हर कोई आगे आ रहा है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक, अब तक बाढ़ से पंजाब में 30 लोगों की मौत हो चुकी है. पढ़ें अमनप्रीत कौर की ये स्पेशल रिपोर्ट...
पंजाब के 9 जिले इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. राज्य के करीब 1300 गांव पानी में डूब चुके हैं और अब तक 30 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. हजारों पशु बह गए हैं, फसलों को भारी नुकसान हुआ है और लाखों लोग बेघर होकर सड़कों व राहत शिविरों में दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं. तरनकारन, अजनाला, पठानकोठ, फाजिल्का, अमृतसर आदि जिलों में चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहे हैं. लगातार पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले पानी की वजह से पंजाब की नदियों और बांधों पर दबाव काफी बढ़ गया है. जलस्तर बढ़ने के कारण सतलुज, ब्यास और रावी नदियां उफान पर हैं.
2023 में तीनका-तीनका जोड़कर बनाया घर पहले बाढ़ की चपेट में आ गया. फिर जैसे-तैसे किसी जानकार से घर लिया. रहने लगे तो सोचा अब जिंदगी किसी तरह गुजर-बसर कर लेंगे, लेकिन 2025 में आई इस बाढ़ ने सबकुछ खत्म कर दिया. आंखों से आंसू पोंछते हुए करमजीत (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि अब सारी जिंदगी लग जाएगी इससे उभरने में. ऐसे ही अनगिनत कहानियां बन गई हैं पंजाब में, जो सारी उम्र अब लोगों के जहन से नहीं निकलेंगी.
बेजुबान भी बाढ़ के पानी में बह गए
पंजाब इस समय बड़े मुश्किल दौर से गुजर रहा है. पंजाब के 1300 के करीब गांव बाढ़ की चपेट मैं हैं और अनगिनत लोग इसकी मार झेल रहे हैं. इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद के लिए हर कोई आगे आ रहा है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक, अब तक बाढ़ से पंजाब में 30 लोगों की मौत हो चुकी है. बेजुबान जानवर, जो पानी में बह गए, इसका कोई सरकारी डाटा तो नहीं, लेकिन जिन लोगों के पशु पानी में बह गए, वह बताते हैं कि अपने सामने अपने पशुओं को बहते देखा, लेकिन हम बेबस थे. कुछ को बचा पाए, लेकिन ज्यादातर बह गए.
सबसे ज्यादा मानसा में फसल को नुकसान
फसल के नुकसान का जिक्र किया जाए तो अब तक 94,061 हेक्टेयर फसल का नुकसान हो चुका है. सबसे ज्यादा नुकसान मानसा (17,005 हेक्टेयर) में हुआ है. उसके बाद कपूरथला में 14,934, तरनतारन में 11,883, फिरोजपुर में 11,232, पठानकोट में 2,442 हेक्टेयर. पंजाब में मुख्य तौर पर जो फसली नुकसान हुआ, वह धान का हुआ है. इस बार सरकार का 180 लाख मीट्रिक टन धान के उत्पादन का लक्ष्य था, लेकिन बाढ़ के चलते यह फसल पूरी खराब हो गई है, जिसका असर केंद्रीय पूल पर भी पड़ेगा. 2024-25 में केंद्रीय पूल के तहत 173 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी.
चावल का पिछले 5 सालों का उत्पादन
वर्ष में 2016-17 में 3,998 किलोग्राम हेक्टेयर चावल का उत्पादन हुआ था, जो 2017-18 में बढ़कर 4,366 किलोग्राम हेक्टेयर तक पहुंच गया. इसी तरह 2018-19 में 4,132 किलोग्राम हेक्टेयर, 2019-20 में 4,034, 2020-21 में 4,366, 2021-22 में 4,340, 2022-23 में 4,193 और वर्ष 2023-24 में चावल का 4,516 किलोग्राम हेक्टेयर तक उत्पादन पहुंच गया. जिस वजह से सरकार ने इस बार ज्यादा की उम्मीद रखी थी.
बाढ़ के पानी से निकाले गए व्यक्तियों की संख्या- 15,688
- अमृतसर- 1700
- बरनाला- 25
- फाजिल्का- 2,049
- फिरोजपुर- 3,321
- गुरदासपुर- 5,549
- होशियारपुर- 1,052
- कपूरथला- 515
- मानसा- 163
- मोगा- 115
- पठानकोट- 1,139
- तरनतारन- 60
लोगों के लिए 129 राहत कैंप बनाए गए
पंजाब की भगवंत मान सरकार की तरफ से राहत कैंप खोले गए हैं, सभी जिलों को मिलाकर 129 राहत कैंप हैं. वहीं राहत शिवरों की संख्या 7,144 है. बाढ़ की चपेट में आए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए 114 बोट्स और एक हेलिकॉप्टर लगा हुआ है. NDRF की 20 टीमें रेस्क्यू में जुटी हैंस जबकि एयरफोर्स, नेवी और आर्मी के जवान भी राहत-बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं. वायुसेना और थल सेना के 35 हेलिकॉप्टर भी लोगों को निकाल रहे हैं.
पंजाब में अब तक 30 लोगों की मौत
पंजाब में बाढ़ से अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है. बाकी की जिंदगी अधर में लटकी हुई है. लोग अपना गुजारा सड़कों पर कैंप लगाकर कर रहे हैं. कुछ लोग अपने घर की छतों पर टेंट लगाकर रात बिताने को मजबूर हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत अजनाला, जो बॉर्डर के साथ लगे गांव हैं, वहां पर है. वहां एक तो राहत का सामान कम मिल रहा है, मेडिकल सुविधाएं भी नहीं पहुंच पा रही हैं और लोगों के पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं.
आंखों के सामने किताबें बह गईं
एक परिवार बताता है कि रात को सो रहे थे, तभी अचानक पानी आ गया. खुद को बचाना पहले जरूरी समझा. सामान उठाने का तो समय ही नहीं मिला. जो उस समय तन पर कपड़े थे, बस वही अभी भी पहने हुए हैं. पठानकोट का रहने वाला एक परिवार कहता है कि अपनी आंखों के सामने अपने आशियाने को उजड़ता देखना, इससे बड़ा दुख और क्या हो सकता है. एक छोटी बच्ची रोती हुई कहती है कि किस तरह उसके और उसके भाई की किताबें पानी में बह गईं. आंखों में बड़े सपने और कुछ कर गुजरने का जज्बा था. सब पानी-पानी हो गया.
ये दौर भी गुजर जाएगा, जिंदगी आगे बढ़ती रहेगी
लोगों का कहना है कि मदद हर कोई कर रहा है, लेकिन सरकार की लापरवाही ने उन्हें इस हालात में ला खड़ा किया है. वहीं लगातार बारिश और पहाड़ों से आने वाला पानी स्थिति को और गंभीर बना रहा है. कई हाईवे भी टूट चुके हैं और कनेक्टिविटी बाधित है. अभी हालात सामान्य होते में काफी समय लग जाएगा. फिर भी पंजाब के लोग कहते हैं कि पंजाब ने बहुत कुछ झेला है, पर रुका नहीं. यह भी दौर भी गुजर जाएगा और जिंदगी आगे बढ़ती रहेगी.
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