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Kanha Tiger Reserve: कान्हा टाइगर रिजर्व में एक ही दिन में 3 बाघों की मौत, 2 दिन पहले ही खुला था पार्क; 9 महीने में 40 ने गंवाई जान

कान्हा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पुनीत गोयल का कहना है कि दो अलग-अलग घटनाएं सामने आई हैं. इसमें पहली घटना मुक्की और दूसरी कान्हा रेंज से, जिसमें एक ही दिन में तीन बाघों की मौत हुई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.


पर्यटकों के लिए टाइगर रिजर्व खुलते ही मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से सैलानियों के लिए बुरी खबर है. देश-विदेश में अपनी जैवविविधता और बाघों की शरणस्थली के लिए जाने, जाने वाले कान्हा टाइगर रिजर्व में तीन बाघों की मौत हो गई. मानसून के कारण तीन महीने जुलाई से सितंबर तक बंद रहने के बाद यह रिजर्व एक अक्टूबर को पर्यटकों के लिए खोला गया था. पहले ही दिन सैलानियों से गुलजार रहे इस रिजर्व से अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को एक ही दिन में तीन बाघों की मौत की खबर आई, जिसने वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों को गहरे चिंता में डाल दिया है.

मिली जानकारी के अनुसार, पहली घटना कान्हा जोन में सामने आई. यहां एक वयस्क नर बाघ ने दो मादा बाघ शावकों को मार डाला. ये शावक महज एक से दो महीने के बताए जा रहे हैं. हाथी गश्ती दल ने घटनास्थल पर नर बाघ को गुर्राते हुए खड़ा पाया, जबकि पास ही मृत अवस्था में दोनों शावक पड़े हुए थे. पास में ही मादा बाघिन मौजूद थी, लेकिन नर बाघ के हमले से दोनों मासूमों की जान नहीं बच सकी.

मुक्की रेंज में नर बाघ की मौत

प्रोटोकॉल के तहत शावकों का पोस्टमॉर्टम करवाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया. दूसरी घटना बालाघाट जिले की मुक्की रेंज के मवाला क्षेत्र में घटी. यहां लगभग 10 वर्षीय एक वयस्क नर बाघ की मौत आपसी संघर्ष में हुई. बताया जा रहा है कि दो नर बाघों के बीच टेरिटोरियल विवाद इतना हिंसक हो गया कि एक बाघ ने दूसरे को मौत के घाट उतार दिया. वन विभाग की टीम और डॉग स्क्वॉड ने मौके पर जांच की और मृत बाघ का पोस्टमॉर्टम किया गया.

मध्य प्रदेश में 785 टाइगर

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं, जो पूरे प्रदेश में सर्वाधिक हैं. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से लेकर 2024 तक 355 बाघों की मौत हो चुकी है, जिसमें 2020 में 46 बाघों की मौत हुई, 2021 में 41 बाघों की मौत हुई, 2022 में 33 बाघों की मौत हुई, 2023 में 43 बाघों की मौत हुई.

9 महीने में 40 बाघों की मौत

वहीं 2024 में 37 बाघों की मौत हुई. इसके साथ ही 2025 में 9 महीने में करीब 40 बाघों की मौत हो चुकी है, जिसमें सबसे ज्यादा मौत बालाघाट और नर्मदापुरम से सामने आई है, जिसमें बाघों की आपसी रंजिश, अवैध शिकार, बिजली का करंट और सड़क हादसों के साथ-साथ टेरिटोरियल फाइट में बाघों की मौत हुई है. फिलहाल बाघों की मौत का सिलसिला लगातार चिंता का विषय बना हुआ है.

एक ही दिन में 3 बाघों की मौत

कान्हा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पुनीत गोयल का कहना है कि दो अलग-अलग घटनाएं सामने आई हैं. इसमें पहली घटना मुक्की और दूसरी कान्हा रेंज से, जिसमें एक ही दिन में तीन बाघों की मौत हुई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. दोनों प्रकरणों में बाघों की आपसी भिड़ंत सामने आई है. सभी शवों को गश्ती दल के द्वारा रेस्क्यू किया गया और वेटरनरी टीम और राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी के समक्ष पोस्टमार्टम करने के बाद प्रोटोकॉल के तहत उनका अंतिम संस्कार किया गया.

मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट

वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि बाघों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ उनके लिए उपयुक्त क्षेत्र और शिकार की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी जरूरी है, ताकि टकराव की घटनाओं को रोका जा सके. एक तरफ जहां मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट कहलाता है तो वहीं दूसरी ओर बाघों की लगातार होती मौतें चिंता का विषय हैं. यह समय है कि पार्क प्रबंधन और सरकार मिलकर अधिक सख्त रणनीतियां बनाएं, ताकि इन दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सके.

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