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इतनी तरह की होती हैं क्रिप्टोकरेंसीज़, इन 2 ने तो कईयों को बना दिया है अरबपति!

आज क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ पैसा कमाने का तरीका नहीं, बल्कि फाइनेंस और टेक्नोलॉजी में बड़ी बदलाव लेकर आई है. बिटकॉइन से शुरुआत हुई थी, लेकिन अब कई दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भी हैं जो अलग-अलग कामों में इस्तेमाल हो रही हैं. ये डिजिटल पैसे फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया में नई दिशा दे रहे हैं.


आज के दौर में क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ कमाई का एक ज़रिया नहीं रह गई है, बल्कि ये फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की एक बड़ी क्रांति बन चुकी है. इस दुनिया की शुरुआत बिटकॉइन से हुई थी, जो आज सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी मानी जाती है. इसके बाद दूसरे नंबर पर इथेरियम (Ethereum) आता है. फिलहाल एक इथेरियम की क़ीमत करीब 3.73 लाख रुपये है. इथेरियम को लॉन्च हुए अब 10 साल हो चुके हैं. जब ये लॉन्च हुई थी, तब इसकी कीमत 200 रुपये से भी कम थी. यानी सिर्फ 10 सालों में इसने जबरदस्त रिटर्न दिया है. लेकिन क्या आपको पता है कि क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ बिटकॉइन और इथेरियम तक ही सीमित नहीं है? ऐसी बहुत सी और क्रिप्टोकरेंसीज़ हैं, जिनका इस्तेमाल और भी कई कामों के लिए किया जा रहा है.

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) – CBDC एक ऐसी डिजिटल करेंसी होती है, जिसे किसी देश का सेंट्रल बैंक जारी करता है. ये भी बिल्कुल नोट और सिक्कों की तरह इस्तेमाल की जा सकती है, बस फर्क इतना है कि ये पूरी तरह डिजिटल होती है.बहामास, जमैका और नाइजीरिया जैसे कई देश अपनी-अपनी डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च कर चुके हैं. इस मामले में चीन सबसे आगे है. भारत में भी रिजर्व बैंक तेजी से इस दिशा में काम कर रहा है. अभी करीब 134 देश इस पर रिसर्च कर रहे हैं और अपने-अपने प्रोजेक्ट्स चला रहे हैं.

पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी – पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी ऐसी डिजिटल करेंसी होती है जो अपनी ब्लॉकचेन पर चलती है. बिटकॉइन इसका सबसे बड़ा और पॉपुलर उदाहरण है, जिसका मार्केट शेयर लगभग 57% है. इसके अलावा लाइटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी भी हैं, जो तेज और सस्ते ट्रांजैक्शन की सुविधा देती हैं. इन पर सरकार का कंट्रोल बहुत कम होता है, इसलिए व्यापारी और निवेशक इन्हें तेजी से अपना रहे हैं. ये पारंपरिक बैंकिंग से ज़्यादा आज़ादी और गोपनीयता देती हैं.

स्टेबलकॉइन –स्टेबलकॉइन ऐसी क्रिप्टोकरेंसी होती है जिसका दाम ज्यादा घटता-बढ़ता नहीं. इन्हें डॉलर, यूरो या सोना जैसी असली संपत्तियों से जोड़ा जाता है. टेथर (USDT) और USDC जैसे स्टेबलकॉइन सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होते हैं. इनका इस्तेमाल लोग क्रिप्टो की तेज़ी-गिरावट से बचने के लिए करते हैं. ये डिजिटल करेंसी को स्थिरता देने का काम करते हैं और पारंपरिक पैसे के साथ एक सेतु (पुल) बनाते हैं.

ऑल्टकॉइन – ऑल्टकॉइन का मतलब है बिटकॉइन के अलावा बाकी सारी क्रिप्टोकरेंसी. ये नई तकनीक और बेहतर फीचर्स के साथ आती हैं. जैसे सोलाना, कार्डानो, रिपल, अवालांच और पोलीगॉन – ये सभी तेजी से पॉपुलर हो रही हैं. ये सिर्फ डिजिटल पैसा नहीं हैं, बल्कि ब्लॉकचेन के नए इस्तेमाल और स्मार्ट सॉल्यूशंस भी देती हैं. तेज ट्रांजैक्शन, पारदर्शिता और स्केलेबिलिटी इनकी खासियत है.

टोकन – टोकन किसी नई ब्लॉकचेन पर नहीं, बल्कि पहले से बनी ब्लॉकचेन (जैसे एथेरियम) पर बनाए जाते हैं. ये डिजिटल दुनिया में किसी चीज़ या सेवा को दिखाने का काम करते हैं. जैसे ERC-20 टोकन, जो एथेरियम पर सबसे आम टोकन है. टोकन का इस्तेमाल फंड जुटाने, डिजिटल चीजें भेजने या किसी ऐप में खास फीचर्स तक पहुंच पाने के लिए होता है.ये क्रिप्टोकरेंसी से ज़्यादा लचीले होते हैं और खास कामों के लिए बनाए जाते हैं.

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