लंकापति रावण का अंतिम संस्कार किसने किया था? जानें उसकी मृत्यु के बाद लंका का राजा कौन बना
लंकापति रावण की गिनती सबसे शक्तिशाली योद्धाओं और प्रकांड विद्वानों में की जाती है. लेकिन बावजूद इसके उसे एक बुरे अंत का सामना करना पड़ा था, जिसका कारण रावण के ही बुरे कर्म थे. आइए जानते हैं कि आखिर किसने रावण का अंतिम संस्कार किया था.
महायुद्ध में रावण को पराजित करना बहुत ही कठिन लक्ष्य था, क्योंकि रावण के पास दिव्य शक्तियां और अस्त्र-शस्त्र थे. युद्ध के आखिरी यानी दसवें दिन भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल कर रावण की नाभि पर निशाना साधा, जिससे वह गिर पड़ा.
रावण को मरने में कुछ समय लगा और अंतिम सांस लेते समय उसने तीन बार राम का नाम लिया. रावण ने अपने अनेक पापों को जानते हुए भी मरते समय तीन बार भगवान राम का नाम लिया था, ताकि उसे अपने पापों से मुक्ति मिल सके.
रावण का अंतिम संस्कार उसके छोटे भाई विभीषण ने किया था. हालांकि, शुरुआत में विभीषण ने अपने बड़े भाई रावण के पापी कर्मों के कारण रावण का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था. रावण एक दुराचारी और पापी था, इसी वजह से विभीषण उसका अंतिम संस्कार नहीं करना चाहता था.
इसके बाद श्री राम ने विभीषण को समझाया कि मृत्यु के साथ ही पार्थिव शरीर से जुड़े सारे पाप भी समाप्त हो जाते हैं और शत्रुता भी समाप्त हो जाती है. भगवान राम की आज्ञा और समझाने पर विभीषण ने रावण का अंतिम संस्कार किया.
इस प्रकार लंका के राजा के रूप में विभीषण ने अपने बड़े भाई को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की.रावण के सभी पुत्र युद्ध में मारे गए थे, इसलिए उसके दाह संस्कार के लिए कोई और रिश्तेदार उपस्थित नहीं था. ऐसे में विभीषण के अलावा, रावण का अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था.
रावण की मृत्यु के बाद भगवान राम के आदेश पर उनके भाई विभीषण लंका के राजा बने. फिर विभीषण ने ज्ञान और न्याय के साथ लंका पर शासन किया. रावण की मृत्यु होने के बाद उसकी पत्नी मंदोदरी का विवाह विभीषण के साथ हो गया था.
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