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पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में बिगड़े हालात, अब तक मारे गए 9 नागरिक, अवामी एक्शन कमेटी ने की अपील

पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में सरकार और बाहरी सुरक्षाबलों द्वारा हो रहे कथित दमन के खिलाफ जनाक्रोश गहराता जा रहा है. जम्मू कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JK-JAAC) ने आरोप लगाया कि पुलिस और गैर-स्थानीय कर्मियों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें अब तक कम से कम 9 नागरिकों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं.


पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में सरकार और बाहरी सुरक्षाबलों द्वारा हो रहे कथित दमन के खिलाफ जनाक्रोश गहराता जा रहा है. जम्मू कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JK-JAAC) ने मौजूदा हालात पर गंभीर चिंता जताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है. कमेटी की कोर टीम के सदस्य सरदार उमर नजीर कश्मीरी ने बताया कि 29 सितंबर से जारी शांतिपूर्ण जनांदोलन पर पाकिस्तान सरकार और कथित बाहरी बलों द्वारा हिंसक कार्रवाई की जा रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और गैर-स्थानीय कर्मियों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें अब तक कम से कम 9 नागरिकों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं. इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि आज़ाद कश्मीर पुलिस के 3 जवान भी बाहरी फोर्स की गोलीबारी में मारे गए हैं. नजीर ने आरोप लगाया कि 28 सितंबर से पूरे PoK में मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं, जिससे लाखों लोग बाहरी दुनिया से कट चुके हैं. इसके साथ ही अंतर-प्रांतीय मार्गों को सील कर आवश्यक वस्तुओं, खाद्य पदार्थों और ईंधन की आपूर्ति बाधित की जा रही है. साथ ही 28 सितम्बर से पाकिस्तान सरकार ने पूरे PoK में संचार सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी हैं.

बाहरी दुनिया से कटे लाखों लोग

सरदार उमर नजीर कश्मीरी ने बताया कि 28 सितंबर से मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट और लैंडलाइन बंद होने से लाखों लोग बाहरी दुनिया से कट गए हैं. साथ ही, अंतर-प्रांतीय मार्गों को बंद कर आवश्यक वस्तुओं, खाद्य और ईंधन की कमी पैदा की जा रही है. JK-JAAC नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्थानीय पत्रकारों पर मुकदमे भी दर्ज किए जा रहे हैं.

मानवाधिकारों के साथ ICCPR का भी उल्लंघन

नजीर ने इन कार्रवाइयों को न केवल मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताया है. साथ ही कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर, 1948 की मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा और अंतरराष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों के वाचा (ICCPR) का भी उल्लंघन है. इन समझौतों में हर व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है. उमर नजीर ने कहा कि उनका संघर्ष पूरी तरह शांतिपूर्ण और संवैधानिक है और यह आंदोलन पहले से सरकार को सौंपे गए 38 सूत्रीय चार्टर ऑफ डिमांड्स पर आधारित है. दिसंबर 2024 में सरकार ने इनमें से 12 बिंदुओं पर अमल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया.

अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर अभी भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत विवादित क्षेत्र है और यहां की व्यवस्था आजाद जम्मू-कश्मीर अंतरिम संविधान अधिनियम 1974 के तहत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं द्वारा संचालित होती है. ऐसे में पाकिस्तानी प्रतिष्ठान और गैर-राज्य तत्वों द्वारा शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसा से दबाना न केवल आत्मनिर्णय के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र सिद्धांतों और जेनेवा कन्वेंशनों का भी उल्लंघन है. नजीर ने पाकिस्तानी मीडिया के एक वर्ग पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह जमीनी सच्चाई छुपाकर पाकिस्तान की 25 करोड़ जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह कर रहा है.पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और वहां के लोगों का आक्रोश अब खुलकर सामने आ रहा है.

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