पाकिस्तान से बांग्लादेश तक…भारत के पड़ोस में शरिया कानून पर क्यों मचा है बवाल?
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने 15 साल की लड़की को पति के साथ रहने की अनुमति दी, जबकि बांग्लादेश में शरिया कानून को लेकर राजनीतिक समर्थन जुटाने की कोशिश जारी है. शरिया को आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक कारणों से समर्थन मिलता है, लेकिन कुछ इसे मानवाधिकारों के लिए खतरा मानते हैं.
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने 15 साल की लड़की को अपने पति के साथ रहने की इजाजत दी है. कोर्ट ने 24 पन्ने के फैसले में कहा शरीयत के मुताबिक नाबालिग की शादी अमान्य नहीं मानी जाती, लेकिन कानून के हिसाब से ये एक अपराध है. शरिया के मुताबिक, लड़की अगर बालिग हो जाए और अपनी मर्जी से निकाह कर ले तो शादी वैध मानी जाती है. लेकिन इस्लामाबाद चाइल्ड मैरिज रेस्ट्रेंट ऐक्ट 2025 साफ कहता है कि 18 साल से कम उम्र में शादी अपराध है.
शरिया को समर्थन मिलने की वजह?
अब सवाल ये है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में शरिया कानून को लेकर समर्थन क्यों मिल रहा है. कई बार तो राजनीतिक पार्टियां इसे सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत करने या जनता का समर्थन पाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. कई बार राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस मुद्दे को उभार दिया जाता है.
दोनों देशों में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियां हैं, जिनके कारण कई लोग बदलाव चाहते हैं. वहीं कुछ समूह इसे धार्मिक पहचान और समाज में नैतिकता बनाए रखने का तरीका मानते हैं. हालांकि बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो इसे आधुनिक कानून और मानवाधिकारों के लिए खतरा समझता है.
क्या है शरिया कानून?
शरिया कानून को इस्लामिक कानून कहा जा सकता है. यह वास्तव में एक सिद्धांत है जो पैगंबर मुहम्मद साहब के शब्दों (हदीस), उनके कार्यों (सुन्नतों) और कुरान से लिया गया है. ये सिद्धांत जीवन के विभिन्न पहलुओं का संचालन करते हैं. यह कानून दुनिया के कुछ मुस्लिम देशों में पूरी तरह से लागू है तो कई मुस्लिम बाहुल्य देशों में यह आंशिक तौर पर लागू होता है. ज्यादातर मुस्लिम देशों में शरिया कानून केवल व्यक्तिगत मामलों में जैसे कि शादी और विरासत के मामले में लागू किया जाता है. बाकी नागरिक और आपराधिक मुद्दों पर सरकारों द्वारा बनाए गए कानून लागू होते हैं.
कितने देशों में लागू है शरिया कानून?
दुनिया के लगभग 50 मुस्लिम-बहुल देशों में ऐसे कानून हैं जो शरिया का संदर्भ देते हैं, लेकिन इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है. पहली श्रेणी में सऊदी अरब, ईरान, सूडान और अफगानिस्तान जैसे देश हैं जहां शरिया कानून सख्ती से लागू किया जाता है और यह सर्वोच्च कानून है. कुल मिलाकर लगभग 7 से 10 देश हैं. इनमें यमन, मॉरिटानिया और ब्रुनेई भी शामिल हैं.
दूसरी श्रेणी में पाकिस्तान, मिस्र, इराक, सीरिया, नाइजीरिया, अल्जीरिया, मोरक्को, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देश हैं. जहां शरिया केवल व्यक्तिगत मामलों (शादी, तलाक, विरासत) में लागू होता है, जबकि अन्य मामलों में नागरिक कानून चलता है.
तीसरी श्रेणी में भारत, थाईलैंड, फिलीपींस और सिंगापुर जैसे देश हैं जहां शरिया सिर्फ मुसलमानों के लिए कुछ विशेष मामलों में सीमित रूप से लागू है. आधुनिक युग में अधिकांश मुस्लिम देशों ने यूरोपीय कानूनी प्रणालियों को अपनाया है और शरिया व्यक्तिगत कानूनों तक ही सीमित रह गया है.
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